


मंगल दोष निवारण पूजा
मंगल दोष निवारण के लिए उचित जगह महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के सपीप
विश्व प्रसिद्ध मंगलनाथ मंदिर हैयह मंगल ग्रह भगवान का जन्म स्थान होने के कारण
उज्जैन का मंगलनाथ मंदिर मंगल ग्रह से संबंधित दोषों को दूर करने का सबसे उत्तम जगह है।
जीवन और मृत्यु एक दूसरे के साथ साथ चलते है,
मनुष्य के जन्म के साथ ही उसकी मृत्यु का समय स्थान,
परिस्थित सब नियत कर दिया जाता है, फिर भी कई बार सांसारिक मोह में फंसे
हुए व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसका भली प्रकार से अंतिम संस्कार संपन्न ना किया जाए |
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काल सर्प दोष पूजा,मंगल भात पूजा,पितृ दोष पूजा,महामृत्युंजय जाप,अर्क/कुंभ विवाह
,नव ग्रह शांति,बगलामुखी माता पुजा एवं विशेष संतान प्राप्ति का उत्कृष्ट परिणाम तुरंत प्राप्त होता है।
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काल सर्प दोष निवारण पूजाl (Kaal Sarp Dosh Nivaran Puja Ujjain)

मंगल दोष निवारण पूजाl (Mangal Dosh nivaran Puja Ujain )

नव ग्रह शांतिl ( Navgrah shanti Puja )

पितृ दोष निवारण पूजा l ( Pitra Dosh Nivaran Puja )
पंडित भास्कर जी पुरोहित ( Kaal Sarp Dosh Puja Ujjain )

पंडित श्री भास्कर पुरोहित अनुष्ठानों में रूचि अपने बालयकाल से ही थी, पंडित जी को समस्त प्रकार के अनुष्ठानो का प्रयोगत्मक ज्ञान एवं सम्पूर्ण विधि विधान की जानकारी पंडित जी के मामा जी से प्राप्त हुयी है, पंडित जी वैदिक अनुष्ठानों में आचार्य की उपाधि से विभूषित है एवं सभी प्रकार के दोष एवं वधाओ के निवारण के कार्यो को करते हुए 11 वर्षो से भी ज्यादा हो गया है।
वर्तमान में पंडित जी पूरी उज्जैन नगरी में कालसर्प पूजापूर्ण वैदिक पद्धति द्वारा संपन्न किया है, इसके अतिरिक्त महामृत्युंजय जाप, दुर्गा सप्तसती पाठ भी आवश्यकता के अनुसार करते है, पंडित जी कुम्भ विवाह, अर्क विवाह, जन्म कुंडली अध्ययन एवं पत्रिका मिलान में भी सिद्धस्त है, इन समस्त कार्यो के साथ साथ पंडित जी वास्तु पूजन, वास्तु दोष निवारण एवं व्यापर व्यवसाय वाधा निवारण का पूजन भी सम्पूर्ण विधि विधान से करते है।
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हमारी सेवाए

महामृत्युंजय जाप l (Mahamratyunjay Jaap)
यह एक मंत्र है जिसे पुनर्जीवित करने के लिए कहा जाता है, स्वास्थ्य, धन, एक लंबा जीवन, शांति, समृद्धि और संतुष्टि प्रदान करता है। प्रार्थना भगवान शिव को संबोधित किया जाता है। इस मंत्र का जप करके, दिव्य वाइब्रेशन उत्पन्न होते हैं, जो सभी नकारात्मक और दुष्ट सेनाओं को बंद करते हैं और एक शक्तिशाली सुरक्षात्मक ढाल बनाते हैं।पंडितजी ने कई लोगोंको महामृत्युंजय जप पूजा करके लाभ दिलवाये है|

रुद्राभिषेक पूजाl (Rudrabhishek Puja )
भक्तो के लिए भगवान शिव के अनंत नाम है उन्ही नामों में से एक प्रसिद्ध नाम है 'रूद्र'। और भगवान शिव का रूद्र रूप का अभिषेक ही रुद्राभिषेक कहलाता है, इस पूजन में शिवलिंग को पवित्र स्नान कराकर पूजा और अर्चना की जाती है। यह हिंदू धर्म में पूजन के शक्तिशाली रूपों में से एक है और ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव अत्यंत उदार भगवान है और बहुत ही आसानी से भक्तो से प्रसन्न हो जाते हैं।

नव ग्रह शांतिl ( Navgrah Shanti Puja )
नवग्रह नौ ब्रह्मांडीय वस्तुएं हैं और ऐसा कहा जाता है कि इनका मानव जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। ये नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहू और केतु हैं।नवग्रह नौ ब्रह्मांडीय वस्तुएं हैं और ऐसा कहा जाता है कि इनका मानव जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। ये नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहू और केतु हैं।

काल सर्प दोष निवारण पूजाl(Kaal Sarp Dosh Puja Ujjain)
कालसर्प दोष पूजा को कालसर्प योग भी कहा जाता है। कालसर्प पूजा तब होती है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आते हैं|कालसर्प हानि, दुविधा, बाधा को सूचित करता है. कुंडली में कालसर्प होने से कितने लोगो को कष्ट हुवा है|कालसर्प पूजा उज्जैन दोष निवारण के लिए की जाने वाली पूजा व्यक्ति की अनुपस्थिति में भी की जा सकती है|
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शनि पूजाl ( Shani Puja )
हिंदू धर्म के अनुसार सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष फल मिलता है। भगवान शिव अपने भक्तों के सुख-दुख का पूरा ध्यान रखते हैं। सावन में शिव पूजा से शनि के प्रकोप से भी बचा जा सकता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने शनि देव को न्याय और कर्मफल का देवता बताया है। राणों के अनुसार, शनि देव भी भगवान शिव की पूजा करते हैं। शिवजी की पूजा करके हम शनि देव की कुदृष्टि से बच सकते हैं।

अर्क/कुंभ विवाह (Kumbh vivah )
जिन पुरुषो की कुंडली में सप्तम भाव अथवा बारहवां भाव क्रूर ग्रहों से पीडि़त हो अथवा शुक्र, सूर्य, सप्तमेष अथवा द्वादशेष, शनि से आक्रांत हों। अथवा मंगलदोष हो अर्थात वर की कुंडली में १,२,४,७,८,१२ इन भावों में मंगल हो तो यह वैवाहिक विलंब, बाधा एवं वैवाहिक सुखों में कमी करने वाला योग होता है, ऐसे पुरुषो के माता पिता या अन्य स्नेही सम्बन्धी जनको को उस वर का विवाह पूर्व अर्क विवाह करवाना चाहिए।

वास्तु दोषl ( Vastu dosh Puja )
वर्तमान समय में मनुष्य के जीवन में उसके घर, कार्यालय एवं व्यावसायिक प्रतिस्थान का उसके जीवन में विशेष महत्त्व है, लेकिन कई बार स्थान के आभाव या दिशाओ की जानकारी न होने के कारण कुछ निर्माण देखने में बहुत सुन्दर प्रतीत होते है लेकिन वह किसी किसी के लिए लाभकारी सिद्द नहीं होते है|

पितृ दोष निवारण पूजाl ( Pitra Dosh Nivaran Puja )
पितृदोष पूजा करने से सभी दोषो का निवारण हो जाता है.अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद विधि से अंतिम संस्कार न किया जाए तो पितृदोष होता है, या फिर किसी की अकाल मृत्यु हो जाए तो व्यक्ति के परिवार को कई पीढ़ियों को तक पितृदोष के परिणाम झेलने पड़ते है| इससे मुक्ति के लिए पितृदोष पूजा उज्जैन की जाती है|
चित्रमाला






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