कालसर्प पूजा के बाद प्रतिबंध: जाने क्या करें और क्या न करें?

भारतीय ज्योतिष में कालसर्प दोष को अत्यंत गंभीर माना गया है। जब यह दोष किसी व्यक्ति की कुंडली में होता है, तो व्यक्ति के जीवन में संघर्ष, बाधाएं और मानसिक तनाव बना रहता है। यही कारण है कि लोग उज्जैन, त्र्यंबकेश्वर या हरिद्वार जैसे पवित्र स्थानों पर जाकर कालसर्प दोष शांति पूजा करवाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूजा के बाद भी कुछ विशेष प्रतिबंधों का पालन करना अनिवार्य होता है।

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा एक रामबाण उपाय है, जो भगवान महाकाल की कृपा, क्षिप्रा नदी की पवित्रता, और वैदिक परंपराओं की शक्ति से दोष के प्रभाव को कम करता है। यह पूजा न केवल ज्योतिषीय समस्याओं को हल करती है, बल्कि जीवन में आर्थिक स्थिरता, वैवाहिक सुख, और मानसिक शांति लाती है।

Kaal Sarp Dosh Puja Ujjain

कालसर्प दोष पूजा के बाद क्यों जरूरी हैं कुछ विशेष प्रतिबंध?

पूजा केवल आध्यात्मिक उपचार है, लेकिन उसका प्रभाव तभी दिखता है जब हम संयमित जीवन अपनाते हैं। कालसर्प दोष पूजा आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। लेकिन यदि पूजा के बाद आप पुनः नकारात्मक आदतों, विचारों और कर्मों की ओर लौटते हैं, तो उसका प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसीलिए, वैदिक परंपरा में पूजा के बाद कुछ खास नियमों और प्रतिबंधों का पालन करने की विशेष सलाह दी जाती है।

कालसर्प दोष पूजा के बाद के मुख्य प्रतिबंध कौन-कौन से है?

1. मांस-मदिरा से पूरी तरह परहेज करें

कालसर्प दोष पूजा के बाद कम-से-कम 21 दिन तक मांसाहार, अंडा, शराब आदि से दूर रहना चाहिए। यदि संभव हो तो इसे जीवनभर के लिए त्याग दें। यह नियम शरीर को शुद्ध रखने और ऊर्जा को स्थिर बनाए रखने में सहायक होता है।

2. तामसिक भोजन न करें

भोजन सत्विक, शुद्ध और ताजा होना चाहिए। बासी, होटल का या अधिक तेल-मसाले वाला भोजन न करें। यह नियम मानसिक शांति और ऊर्जा संतुलन बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है।

3. ब्रह्मचर्य का पालन करें (न्यूनतम 11 दिन)

पूजा के बाद कम से कम 11 दिनों तक ब्रह्मचर्य (sexual abstinence) का पालन करना चाहिए। यह मन और शरीर की ऊर्जा को ऊर्ध्वगामी बनाता है।

4. नकारात्मक सोच, झूठ और अशब्द बोलने से बचें

कालसर्प दोष पूजा के बाद मानसिक शुद्धता भी उतनी ही जरूरी है जितनी शारीरिक। इसलिए झूठ, क्रोध, ईर्ष्या और अपवित्र भाषा से बचें।

5. शव यात्रा और अंतिम संस्कार से दूरी बनाएं (न्यूनतम 7 दिन)

पूजा के तुरंत बाद किसी भी शव यात्रा या श्मशान आदि स्थानों पर न जाएं। इससे आपकी ऊर्जा प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, तो ऐसे स्थान पर जाने से बचे।

6. पूजा स्थल की पवित्रता बनाए रखें

जहां पूजा करवाई है, वहां से प्रसाद, पूजन सामग्री आदि को सम्मानपूर्वक घर लाएं। उन्हें कभी फेंके नहीं। पूजा के कपड़े और वस्त्र अलग रखें और धोकर सुरक्षित रखें।

7. पूजा के बाद एक बार गंगा स्नान करें

कालसर्प दोष पूजा के बाद यदि आप एक बार गंगा स्नान करते हैं, तो यह दोष शांति को और मजबूत करता है और आत्मा को शुद्ध करता है।

कालसर्प दोष पूजा के बाद भूल से भी न करें ये 5 काम

  1. पूजा को केवल नियमों को निभाने की प्रक्रिया न समझें – यह आत्मशुद्धि का मार्ग है, इसे गंभीरता से लें।
  2. डर या भ्रम रखना – क्या दोष सच में गया या नहीं? ऐसी सोच से पुनः वही ऊर्जा लौट आती है।
  3. पूजा के बाद तुरंत नकारात्मक लोगों से मिलना – उनका असर आपके ऊर्जाक्षेत्र पर पड़ सकता है।
  4. पूजा से अगले दिन ही व्यसन की ओर लौट जाना – यह पूजा का अपमान है।
  5. नियमों का मज़ाक उड़ाना – यह पुनः पाप की ओर ले जाता है और दोष पुनः सक्रिय हो सकता है।

कालसर्प दोष पूजा का प्रभाव कब तक रहता है?

यदि आप ऊपर बताए गए सभी नियमों और प्रतिबंधों का पालन श्रद्धा और अनुशासन के साथ करते हैं, तो कालसर्प दोष का प्रभाव पूरी तरह समाप्त हो जाता है। लेकिन अगर आप इन नियमो को नजरंदाज करते हैं, तो कुछ वर्षों में दोष पुनः सक्रिय हो सकता है। इसीलिए सही साधना और संयम आवश्यक है।

कालसर्प दोष के उपाय कौन-कौन से है?

1. कालसर्प दोष शांति पूजा

  • यह सबसे प्रमुख उपाय है।
  • पूजा त्र्यंबकेश्वर (नासिक), उज्जैन, हरिद्वार या काशी जैसे तीर्थस्थलों पर की जाती है।
  • पूजा में नाग-नागिन की मूर्ति, रुद्राभिषेक, हवन और मंत्र जाप शामिल होते हैं।

2. नाग पंचमी के दिन नाग पूजन करें

  • नाग देवता की मूर्ति या चित्र पर दूध, दूर्वा और पुष्प चढ़ाएं।
  • “ॐ नमो भगवते वासुकेश्वराय” मंत्र का जाप करें।

3. रुद्राभिषेक करवाएं

  • शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र चढ़ाकर रुद्राभिषेक करना बहुत लाभदायक होता है।
  • यह उपाय कालसर्प दोष की नकारात्मक ऊर्जा को शांत करता है।

4. मंत्र जाप करें

  • प्रतिदिन 108 बार ये मंत्र जाप करें: “ॐ नमः शिवाय”
    “ॐ नागेश्वराय नमः”
    “ॐ राहवे नमः” और “ॐ केतवे नमः”

5. शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करें

  • पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • शनि देव को याद करें और राहु-केतु की शांति की प्रार्थना करें।

उज्जैन में कैसे कराये कालसर्प दोष पूजा बुकिंग?

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा सम्पन्न कराना सबसे सरल और प्रभावी उपाय माना जाता है। यदि आप भी किसी योग्य और अनुभवी पंडित से सलाह लेकर पूजा कराना चाहते है तो आज ही उज्जैन के अनुभवी पंडित जी से नीचे दिये गए नंबर पर संपर्क करे और अपनी पूजा बुक करें।

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