भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कुछ ग्रह दोष ऐसे होते हैं, जिनका प्रभाव जन्म से लेकर मृत्यु तक बना रहता है, यदि उनका सही समय पर निवारण न किया जाए तो यह दोष व्यक्ति के जीवन को विभिन्न हिस्सो को प्रभावित करता है: स्वास्थ्य, करियर, विवाह, संतान, धन और मानसिक स्थिति कालसर्प दोष भी एक ऐसा ही रहस्यमयी योग है। कालसर्प दोष की अवधि व्यक्ति की कुंडली, ग्रहों की स्थिति, और किए गए उपायों पर निर्भर करती है।
कालसर्प दोष कब तक रहता है? इसकी अवधि कितनी है?
कालसर्प दोष की अवधि के बारे में ज्योतिष शास्त्र में कोई निश्चित समयसीमा नहीं है, क्योंकि यह कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे कुंडली में दोष की तीव्रता, ग्रहों की स्थिति, और व्यक्ति की दशा-अंतर्दशा।
1. कुंडली में मौजूद रहने तक (जन्म आधारित दोष)
यदि कालसर्प दोष जन्म कुंडली में है, तो वह तब तक रहता है जब तक उसका उचित और प्रभावी शांति उपाय न किया जाए। यह दोष स्वाभाविक रूप से उम्रभर बना रह सकता है, अगर सही उपाय नहीं किए जाएं। इसलिए आज ही उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा कराये और दोष के प्रभाव को कम करें।
2. गोचर आधारित कालसर्प योग (अस्थायी दोष)
कभी-कभी गोचर (transit) में भी राहु-केतु की स्थिति के कारण अस्थायी कालसर्प योग बनता है। इसका प्रभाव आमतौर पर 1.5 वर्ष से 3 वर्ष तक रहता है, जब तक राहु-केतु की स्थिति बदलती नहीं। यह अस्थायी योग होता है और इसके प्रभाव कम तीव्र होते हैं।
3. प्रभाव की तीव्रता और समय
ज्योतिषियों के अनुसार, कालसर्प दोष का प्रभाव समान्यता व्यक्ति के जीवन के शुरुआती 27-33 वर्षों में अधिक तीव्र होता है, क्योंकि इस दौरान राहु और केतु की ऊर्जा प्रबल रहती है। इसके बाद, यदि व्यक्ति वैदिक उपाय करता है, तो दोष का प्रभाव धीरे-धीरे कम हो सकता है। कुछ मामलों में, 40-45 वर्ष की आयु के बाद दोष का प्रभाव काफी हद तक कम हो जाता है, खासकर यदि व्यक्ति ने नियमित रूप से पूजा और मंत्र जाप किए हों।
4. पूर्ण और आंशिक कालसर्प दोष
- पूर्ण कालसर्प दोष: जब सभी ग्रह पूरी तरह से राहु और केतु के बीच हों, तो इसका प्रभाव अधिक लंबा और तीव्र हो सकता है।
- आंशिक कालसर्प दोष: यदि कोई ग्रह राहु-केतु के अक्ष से बाहर है, तो इसका प्रभाव कम हो सकता है और यह समय के साथ आसानी से नियंत्रित हो सकता है।
कालसर्प दोष की अवधि को प्रभावित करने वाले कारक
कालसर्प दोष की अवधि और तीव्रता कई कारकों पर निर्भर करती है:
- कुंडली की तीव्रता: यदि दोष पूर्ण है, तो इसका प्रभाव अधिक लंबा हो सकता है।
- राहु-केतु की दशा: उनकी महादशा या अंतर्दशा के दौरान प्रभाव तीव्र होता है।
- शुभ ग्रहों की स्थिति: गुरु या शुक्र जैसे ग्रहों की मजबूत स्थिति दोष को कम कर सकती है।
- उपायों का पालन: नियमित पूजा, मंत्र जाप, और दान से दोष का प्रभाव कम होता है।
- जीवनशैली: सात्विक भोजन, ध्यान, और नकारात्मकता से दूरी दोष के प्रभाव को कम करती है।
कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने का रामबाण उपाय क्या है?
उज्जैन में कालसर्प दोष निवारण पूजा

कालसर्प दोष की अवधि और प्रभाव को कम करने के लिए सबसे प्रभावी उपाय है उज्जैन में कालसर्प दोष निवारण पूजा। उज्जैन, भगवान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का घर, अपनी पवित्र क्षिप्रा नदी और वैदिक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यह पूजा दोष के प्रभाव को कम करने में रामबाण मानी जाती है। यहाँ पूजा की प्रक्रिया और महत्व हैं:
उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा की प्रक्रिया
- क्षिप्रा नदी में स्नान: पूजा से पहले भक्त सुबह जल्दी क्षिप्रा नदी में स्नान करते हैं, जो आत्मिक शुद्धि के लिए आवश्यक है।
- संकल्प और गणेश पूजा: सभी बाधाओं को दूर करने के लिए गणेश जी की पूजा की जाती है।
- नवग्रह पूजा: सभी ग्रहों की शांति के लिए मंत्र जाप और पूजन।
- राहु-केतु पूजा: राहु और केतु को शांत करने के लिए विशेष मंत्रों का जाप और हवन। मंत्र:
- राहु: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
- केतु: ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः
- महामृत्युंजय जाप: स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए।
- विसर्जन: पूजा सामग्री (जैसे चाँदी का नाग-नागिन जोड़ा) को क्षिप्रा नदी में विसर्जित करना।
- दान और दक्षिणा: काले तिल, सरसों का तेल, और अन्य सामग्री का दान।
कालसर्प दोष को स्थायी रूप से दूर करने के लिए क्या करें?
उपाय जो दोष की अवधि को कम कर सकते हैं:
- कालसर्प दोष शांति पूजा कराएं
- रोज़ “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें (कम से कम 108 बार)
- रुद्राभिषेक और नाग पूजा करें
- नाग पंचमी के दिन नाग देवता का पूजन करें
- शनिवार को पीपल के नीचे दीपक जलाएं और राहु-केतु मंत्र जाप करें
- मांस, मदिरा, झूठ और अपवित्र विचारों से दूर रहें
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