शंखचूर्ण कालसर्प दोष: जाने प्रभाव, उपाय और पूजा खर्च

शंखचूर्ण कालसर्प दोष एक दुर्लभ और विशिष्ट प्रकार का दोष है, जो अपने गहरे प्रभावों के लिए जाना जाता है। शंखचूर्ण नाम पौराणिक सर्प से प्रेरित है, जो ज्ञान, संतान और सामाजिक संबंधों से जुड़ा है। यह दोष शिक्षा, संतान सुख और सामाजिक संबंधो को प्रभावित करता है।

शंखचूर्ण कालसर्प दोष जीवन के अनेक हिस्सो जैसे- संतान सुख, शिक्षा, और सामाजिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा और अन्य वैदिक उपाय इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं। भगवान शिव की कृपा, क्षिप्रा नदी की पवित्रता, और वैदिक मंत्रों की शक्ति इस दोष से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।

शंखचूर्ण कालसर्प दोष कब और कैसे बनता है? जाने इसका महत्व

शंखचूर्ण कालसर्प दोष तब बनता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु पांचवें भाव (संतान, शिक्षा, और रचनात्मकता) में और केतु ग्यारहवें भाव (लाभ, मित्र, और सामाजिक नेटवर्क) में होता है, और अन्य सभी ग्रह इन दोनों के बीच आ जाते हैं। राहु और केतु, जो छाया ग्रह माने जाते हैं, सर्प की तरह अन्य ग्रहों को अपने प्रभावों से प्रभावित करते हैं, जिससे जीवन के कई क्षेत्रों में उतार-चढ़ाव आते हैं।

शंखचूर्ण सर्प का उल्लेख पौराणिक कथाओं में मिलता है, जो ज्ञान और सामाजिक प्रभाव का प्रतीक है। इस दोष का निवारण भगवान शिव की कृपा और वैदिक अनुष्ठानों के माध्यम से संभव है।

  • राहु का पांचवां भाव: पांचवां भाव संतान, शिक्षा, रचनात्मकता, और प्रेम से संबंधित है। राहु की उपस्थिति यहाँ संतान सुख में देरी, शिक्षा में बाधाएँ, या रचनात्मक कार्यों में रुकावटें ला सकती है।
  • केतु का ग्यारहवां भाव: ग्यारहवां भाव लाभ, मित्र, और सामाजिक नेटवर्क का प्रतीक है। केतु की उपस्थिति यहाँ मित्रों के साथ मतभेद, सामाजिक अलगाव, या आय के स्रोतों में कमी ला सकती है।
  • पौराणिक संदर्भ: शंखचूर्ण सर्प ज्ञान और सामाजिक प्रभाव से जुड़ा है, और इसका निवारण भगवान शिव और गणेश की भक्ति से होता है।

शंखचूर्ण कालसर्प दोष का जीवन पर प्रभाव किस प्रकार होता है?

शंखचूर्ण कालसर्प दोष का प्रभाव व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति, दशा-अंतर्दशा, और अन्य ज्योतिषीय कारकों पर निर्भर करता है। इसके मुख्य प्रभाव निम्नलिखित हैं:

  • संतान सुख में बाधाएँ: संतान प्राप्ति में देरी, संतान के स्वास्थ्य में समस्याएँ, या उनके साथ भावनात्मक दूरी।
  • शिक्षा में रुकावटें: उच्च शिक्षा में कठिनाई, पढ़ाई में एकाग्रता की कमी, या रचनात्मक कार्यों में असफलता।
  • सामाजिक अलगाव: मित्रों के साथ मतभेद, सामाजिक नेटवर्क में कमी, या सामाजिक मान्यता में बाधाएँ।
  • आर्थिक चुनौतियाँ: आय के स्रोतों में रुकावटें, अप्रत्याशित खर्च, या निवेश में हानि।
  • प्रेम और रचनात्मकता में समस्याएँ: प्रेम संबंधों में गलतफहमियाँ या रचनात्मक कार्यों में रुकावटें।
  • आध्यात्मिक रुचि: केतु के प्रभाव से व्यक्ति आध्यात्मिकता, दर्शन, या अज्ञान की ओर आकर्षित हो सकता है।

शंखचूर्ण कालसर्प दोष निवारण के उपाय कौन-कौन से है?

उज्जैन में पूजा के साथ कुछ अतिरिक्त उपाय शंखचूर्ण कालसर्प दोष के प्रभाव को और कम कर सकते हैं, जो इसे एक संपूर्ण आध्यात्मिक और रचनात्मक यात्रा बनाते हैं:

1. राहु-केतु मंत्र जाप: संतान और सामाजिक सुख के लिए शक्तिशाली मंत्र

  • राहु मंत्र: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
  • केतु मंत्र: ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः
  • रोज़ सुबह 108 बार, 40 दिन तक, रुद्राक्ष की माला से जाप करें। इस मंत्र के जाप से संतान सुख में सुधार और सामाजिक नेटवर्क में मजबूती।

2. महामृत्युंजय मंत्र जाप: मानसिक शांति और रचनात्मकता का स्रोत

  • सोमवार को शिवलिंग के सामने 108 बार जाप करें। इस मंत्र के जाप से मानसिक तनाव और शिक्षा में बाधाओं से राहत मिलती है।
    • मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्…

3. चाँदी का नाग-नागिन जोड़ा: शंखचूर्ण सर्प की कृपा

  • चाँदी का नाग-नागिन जोड़ा शिवलिंग पर अर्पित करें और नदी में विसर्जित करें। विशेष रूप से नाग पंचमी या सोमवार के दिन यह उपाय करें इससे दोष का प्रभाव कम होता है।

4. गोमेद और लहसुनिया रत्न: ग्रहों का संतुलन

  • ज्योतिषी की सलाह पर गोमेद (राहु) और लहसुनिया (केतु) धारण करें। इसे धरण करने से नकारात्मक ऊर्जा संतुलित होती है।

5. कालसर्प यंत्र: रचनात्मक और सामाजिक शक्ति का प्रतीक

  • अभिमंत्रित कालसर्प यंत्र को घर के पूजा स्थल में स्थापित करें। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा और सामाजिक संबंधों में सुधार लाता है।

उज्जैन में शंखचूर्ण कालसर्प दोष पूजा: रामबाण उपाय

शंखचूर्ण कालसर्प दोष के निवारण के लिए सबसे प्रभावी और प्रामाणिक उपाय है उज्जैन में कालसर्प दोष निवारण पूजा। उज्जैन, भगवान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और पवित्र क्षिप्रा नदी का घर है, जो इसे इस दोष के निवारण के लिए एक पवित्र और शक्तिशाली तीर्थस्थल बनाता है। इस पूजा को विशेष रूप से प्रभावी बनाने वाले कारण हैं:

  • भगवान शिव, जो सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश करते हैं, शंखचूर्ण कालसर्प दोष को शांत करने में सहायक हैं।
  • पूजा से पहले क्षिप्रा नदी मे स्नान आत्मिक और शारीरिक शुद्धि प्रदान करता है।
  • उज्जैन के पंडित प्राचीन वैदिक मंत्रों और विधियों का पालन करते हैं।
  • उज्जैन का प्राचीन ज्योतिषीय महत्व पूजा के प्रभाव को कई गुना बढ़ाता है।

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा की विधि के प्रमुख चरण कौन-कौन से है?

  1. क्षिप्रा नदी में स्नान: सुबह जल्दी स्नान करें, जो आत्मिक शुद्धि का प्रतीक है।
  2. संकल्प और गणेश पूजा: सभी बाधाओं को दूर करने के लिए गणेश जी की पूजा।
  3. नवग्रह पूजा: सभी ग्रहों की शांति के लिए मंत्र जाप और पूजन।
  4. राहु-केतु पूजा: शंखचूर्ण कालसर्प दोष के लिए विशेष मंत्र जाप और हवन। मंत्र:
    • राहु: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
    • केतु: ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः
  5. महामृत्युंजय जाप: संतान सुख और मानसिक शांति के लिए। मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्…
  6. विसर्जन: चाँदी का नाग-नागिन जोड़ा क्षिप्रा नदी में विसर्जित करें।
  7. दान और दक्षिणा: काले तिल, सरसों का तेल, और अन्य सामग्री का दान।

उज्जैन में कालसर्प पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 2025:

  • नाग पंचमी: 30 जुलाई 2025, सुबह 6:00 बजे से 9:00 बजे।
  • महा शिवरात्रि: 26 फरवरी 2025, रात 11:00 बजे से 1:00 बजे।
  • अमावस्या: 29 जनवरी, 28 फरवरी, या 29 मार्च 2025, सुबह 7:00 बजे से 10:00 बजे।
  • श्रावण मास: 22 जुलाई से शुरू, प्रत्येक सोमवार।

शंखचूर्ण कालसर्प दोष पूजा में कितना खर्च आता है?

कालसर्प दोष पूजा का खर्च ₹2100 से शुरू होकर ₹5,000 तक हो सकता है, जो कि पूजा की विधि, दिन, पंडित जी के अनुभव और स्थान के अनुसार बदलता है। सामूहिक पूजा के लिए 2,100-3,500 रुपये, व्यक्तिगत पूजा के लिए 5,000 या इससे अधिक। अगर आप सटीक और परिणामदायक पूजा चाहते हैं तो अनुभवी पंडित से संपर्क करें।

उज्जैन में शंखचूर्ण कालसर्प दोष पूजा बुकिंग कैसे करें?

यदि आप उज्जैन में शंखचूर्ण कालसर्प दोष पूजा कराना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए नंबर या वेबसाइट के माध्यम से उज्जैन के अनुभवी पंडित जी से संपर्क करें।

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